Document Abstract
‘‘साहित्य आ ैर समाज का अट ूट संब ंध ह ै। साहित्य समाज
म ें होन े वाले परिवतर््ान का े उजागर करता है। मानव का दृष्टिका ेण
समय के साथ बदलता रहता है। इस बदलाव की स्थिति में जीवन
म ूल्य म ें भी परिवर्त न हा ेता ह ै। यह परिवर्त न सकारात्मक भी हा े
सकता ह ै आ ैर नकारात्मक भी। भीष्म साहनी द्वारा अपनी कहानी
‘चीफ की दावत’ म ें आध ुनिक जीवन म ें हो रह े जीवन म ूल्य क े
विघटन का े चित्रित किया गया ह ै। आध ुनिक पीढ़ी क े हाथों पुरानी
पीढ ़ी का अनादर हा ेत े हुए कहानी ‘चीफ की दावत’ म ें दर्शाया
गया ह ै। इस कहानी म ें आय े म ूल्यगत परिवर्त न की तफ्तीश करन े
पर यह तथ्य सामने आता ह ै कि वर्त मान युवा पीढ ़ी क े भीतर अपन े माता-पिता क े प्रति र्कोइ भावनात्मक,
संवेदनात्मक स्वर की अन ुग ूंज स ुर्नाइ नही देती’ ।