Document Abstract
जल हमारे ग्रह पृथ्वी पर एक आवश्यक संसाधन है। इसके बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। तेजी से बढ़ती जनसंख्या, पढता औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के साथ ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न जलवायु बदलाव जल संकट के लिए जिम्मेदार है। स्वच्छ पेयजल की बढ़ती मांग के साथ इसकी स्थानिक एवं कालिक उपलब्धता जल संकट के प्रमुख कारकों में है। विश्व सहित भारत में जल संकट का सामाजिक-आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव सामने आ रहा है।
भविष्य में भारत के समक्ष जल स्रोतों की सुरक्षा एवं संरक्षण, अंतर क्षेत्रीय जल बंटवारे की उभरती चुनौती, शहरों और उद्योगों के लिए दूरस्थ क्षेत्रों से जल के विस्तारित बहाव पर बढ़ता द्वंद्व, नदियों की पारिस्थितिकी को शाश्वत बनाये रखना, नदी घाटी प्रबंधन, जल प्रदूषण पर नियंत्रण जैसी कुछ बडी चुनौतियां सामने होंगी। मानव विकास एवं आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए भारत को जल के आधारभूत ढांचे में राष्ट्रीय जलनीति २०१२ के अनुरूप निवेश करने एवं संस्थागत व नीतिगत सुधार
करने की आवश्यकता होगी।
प्रस्तुत पुस्तक भारत में जल संसाधन विकास एवं नियोजन मे भारत मे जल उपलब्धता एवं समस्याओं के साथ-साथ जल प्रबंधन के विविध पक्षो को विश्लेषित किया गया है।