Institutional Repository, Rajeev Gandhi Govt. Post Graduate College Ambikapur, Distt. Surguja, Chhattisgarh(India), Pin Code - 497001-Dr.Deepak Singh
Dr.Deepak Singh
Title
समकालीन कविता और बाजारिाद
Author(s)
, Dr.Deepak Singh
Issue Date
01-11-2021
Citation
-
Document Abstract
प्रस्तुत शोध-पत्र में बाजारवाद और समकालीन कहवता के अांतसंबांधोां की पड़ताल की गई है|बाजारवाद वस्तु, मनुष्य, सांवेदना आहद सभी चीजोां को एक उत्पाद के रूप में देखता है यह इहतहास,स्मृहत को नष्ट कर देना चाहता है जबहक साहहत्य का कायय भाषा के माध्यम से इहतहास, सांस्कृ हत तथा स्मृहत का सांरक्षण है | इस तरह साहहत्य अपने स्वरूप में बाजारवाद हवरोधी है लेहकन बाजार की चमक दमक से बचा रह जाना सभी के बस मेंनहीां है| अतः वतयमान साहहत्यकारोां के एक हहस्से मेंबाजारवादी प्रवृहत्त भी हदखाई पड़ती हैं| समकालीन कहवता मेंकई स्वर मौजूद हैंहकतने ही बाजार की भाषा बोलते हदखाई पड़ते हैं लेहकन इन्हेंसमकालीन कहवता का मुख्य स्वर नहीां कहा जा सकता,मुख्य स्वर तो प्रहतरोध का ही है| मुम्बिबोध से शुरू करें तो धूहमल,रघुवीर सहाय,वीरेन डांगवाल,मांगलेश डबराल, कुां वर नारायण, के दारनाथ हसांह, ज्ञानेंद्रपहत, राजेश जोशी, अरुण कमल, आलोक धन्वा, पांकज चतुवेदी, कु मार अिुज आहद सरीखे कहव हमलकर समकालीन कहवता के मुख्य स्वर की रचना करतेहैं|यहद एक हवस्तृत फलक पर देखा जाय तो समकालीन हहन्दी कहवता की राजनैहतक चेतना प्रगहतशील और भहवष्योन्मुखी ह
Language
English
Document Year
2021
Subject Name
Hindi
Publisher Name
An International Multidisciplinary Quarterly Bilingual Peer Reviewed Refereed Research Journals
Rights :
International Journal for Multidisciplinary Research (IJFMR)