Document Abstract
प्रस्तुत शोध-पत्र में मुक्तिबोध की कक्तिताओं के माध्यम से उिके द्वारा की गई सभ्यता-समीक्षा तथा कक्तिताओं में आये
गूढ़ प्रतीकों के क्तिश्लेषण का प्रयास ककया गया है | मुक्तिबोध की कहाक्तियां हों या कक्तितायेेँ िे सामाक्तिक इक्ततहास की
पड़ताल के साथ भक्तिष्य की क्तिन्ताओं से मुटभेड करती कर्खाई पड़ती हैं | इतिा ही िहीं उिके पास भक्तिष्य
का ‘िक्षा’ भी है और िहां तक पहुििे का रास्ता भी | यह रास्ता कं टकाकीणृ है और र्ुगृम खाइयों,
िट्टािों, पिृतों और खोहों से होकर िाता है क्तििके अयथाथृिार्ी प्रतीक हमेंउिकी कक्तिताओं में क्तिखरे क्तमलते
हैं | इन्हीं मेंफं सकर कई बार आलोिक-पाठक उन्हें रहस्यिार्ी, अक्तस्मतािार्ी आकर् समझिे की भूल कर
बैठते हैं | इस कठोर आिरण को भेर्िे का रास्ता उिकी कहाक्तियों से होकर िाता है, यकर् इि कहाक्तियों के
आलोक मेंकक्तिता की यात्रा की िाय तो ‘भ्रम के तम’ से आसािी से पार पाया िा सकता है |