Dr. Umesh Kumar Pandey
Title
निराला की रचनाओं में राष्ट्रीयता की भावना और मुक्ति का स्व
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Dr. Umesh Kumar Pandey
Document Abstract
निराला की राष्ट्रीय भावना सर्वप्रथम देशभक्ति वेफ रूप में सामने आती है। उनकी
आरंभिक रचनाओं में ‘जन्मभूमि’ एक देशभक्ति पूर्ण गीत है जिसमें उन्होंने पूरी विह्नलता से कहा
है, ‘जन्मभूमि मेरी है जगन्महरानी।’ इसी भाँति अपनी रचना ‘छत्रापति शिवाजी का पत्रा’ में निराला
अँग्रेजी साम्राज्यवाद का विरोध करते हैं और जातीय एकता वेफ बलबूते अँग्रेजी शासन को उखाड़
पेंफकने की बात करते हंै। निराला ने वेफवल राजनीतिक स्वाधीनता को पाने की बात नहीं की
बल्कि उनवेफ यहाँ आ£थक व्यवस्था की खामियाँ और जातिगत रूढ़ियों से मुक्ति का प्रश्न भी
महत्त्वपूर्ण है। निराला वेफ लिए राष्ट्रीय मुक्ति का अर्थ दलितों और पीड़ितों की मुक्ति से है।
शताब्दियों से अँधेरे में रखे गए लोगों को वह खुले आकाश और प्रकाश की ओर ले जाना चाहते
हैं। निराला अपने गद्य साहित्य में और अधिक क्रांतिकारी एवं विद्रोही रूप में दिखाई देते हैं। उनवेफ
कथासाहित्य में बंगाल वेफ स्वदेशी आंदोलन से लेकर पूरे राष्ट्रीय और क्रांतिकारी आंदोलन की
झलक मिलती है। वे देशी-विदेशी हर प्रकार वेफ शोषण वेफ विरोधी हैं।
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