Dr. Jasinta Minj
Title
छ.ग. राज्य ग्रामीण विकास में पंचायती राज्य व्यव्य्स्था
Author(s)
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Dr. Jasinta Minj
Document Abstract
पंचायतें प्रजातंत्र की रीढ़ होती हैं। किसी भी लोकतंत्रीय शासन प्रणाली का उद्देश्य होता है- सत्ता का विकेन्द्रीकरण । इसके पीछे यही सोच होती है कि शासन संचालन समाज के शिखर रूपी कलश से न होकर उसे बनाने और टिकाए रखने वाले नींव के पत्थरों से हो। भारतीय समाज व शासन संचालन हेतु नींव के पत्थर यहाँ के गांव ही हैं। जिसकी माटी हमारी अर्थव्यवस्था को संभाले हुए है। कहते भी हैं कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। भारत ने लंबे समय तक गुलामी का दंश झेला और 15 अगस्त 1947 ई० को आजाद हुआ। आजादी के बाद अपना संविधान सन् 1950 ई0 में बना। तब से लेकर अब तक निरंतर गांवों की खुशहाली के प्रयास हो रहे हैं। इसी तारतम्य में 01 नवम्बर, 2000 ई0 को बने नवीन प्रांत छत्तीसगढ़ ने भी राज्य के विकास के लिये ग्रामीण विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इस दिशा में पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के प्रयास समय-समय पर होते रहते हैं। छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में से दो जिलों- जशपुर व कबीरधाम जिले ने भी पंचायती राज व्यवस्था में स्वयं को समुन्नत किया है। यह शोध दोनों जिलों में पंचायती राज व्यवस्था के तुलनात्मक अध्ययन - विश्लेषण पर आधारित है ।
Subject Name
Political Science
Publisher Name
An International Bilingual Peer Reviewed Refereed Research Journals
Rights :
An International BilingualPeer Reviewed Refereed Research Journals