Institutional Repository, Rajeev Gandhi Govt. Post Graduate College Ambikapur, Distt. Surguja, Chhattisgarh(India), Pin Code - 497001-Dr. Shampu Tirkey
Dr. Shampu Tirkey
Title
हंड़िया में प्रयोग होने वाले औषधीय प्रबंध एवं प्रभाव (आदिवासी जनजीवन के संदर्भ में)
Author(s)
, Dr. Shampu Tirkey
Issue Date
14-02-2021
Citation
-
Document Abstract
आदिकाल से ही आदिवासी समाज प्रकृति से जुड़ा हुआ है। इसलिए इन्हें प्रकृतिपूजक भी कहते हैं। सीमित संसाधन होने के बावजूद आदिवासी अपनी आवष्यकता, सुरक्षा, आर्थिक वृद्वि, खान-पान, धार्मिक विष्वास, अतिथि सत्कार, मूर्तीकला, चित्रकला, दर्षन, सभ्यता आदि को पर्वत, नदी, पषु, वनस्पति से जोड़े हुए हंै। आज भी अपने पारम्पारिक देषी ज्ञान के विपुल भण्डार से संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान के बीच सामंजस्य बनाए हुए हैं। वनस्पतियों के छाल, पत्तियों, जड़ों एवं फलों का प्रयोग करके तरह-तरह के खाद्य एवं पेय पदार्थों का निर्माण करते हैं। असम, पष्चिम बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ के जनजातियों द्वारा स्वनिर्मित विषेष शीतल पेय हंड़िया हंै। हंड़िया आदिवासियों के बीच जल के बाद सर्वाधिक और व्यापक रूप से पिया जाने वाला पेय है। पूजा, तर्पण, अतिथि सत्कार, भोज में उपयोग किए जाने वाले इस पेय को बनाने में प्रयोग किए जाने वाले वनौषधियों के संरक्षण तथा पारम्पारिक ज्ञान से भरे गुणी लोगों के ज्ञान को आने वाले समय तक जीवित रखने के उद्वेष्य से इसे अध्ययन में शामिल किया गया है। प्रस्तुत शोध पत्र में हंड़िया को बनाने की पारम्परिक विधि, इसमें प्रयोग होने वाली स्थाननीय औषधि तथा जनजीवन पर इसके प्रभाव के साथ-साथ देषी ज्ञान का अवलोकन किया गया है।
Language
Hindi
Document Year
2021
Subject Name
Commerce
Publisher Name
International Journal of Applied Research
Rights :
International Journal of Applied Research