Document Abstract
निराला छायावाद के आधार स्तंभ कवि तो हैं ही साथ ही वे हिंदी साहित्य के अग्रगण्य कवियों में से एक हैं। निराला ऐसे समय में हिंदी साहित्य लेखन के क्षेत्र में प्रवृत्त हुए जब देश पराधीन था तथा स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु संघर्षरत था। कोई भी रचनाकार देश की यथार्थ स्थिति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। देश की न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक स्थिति पर चिंतन करना भी रचनाकार का कर्तव्य होता है और यही राष्ट्र भक्ति है । कवि निराला की राष्ट्रीय चेतना केवल राजनीति से प्रेरित नहीं है। निराला का ध्यान राष्ट्रीयता के विभिन्न पक्षों जैसे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि पर गया है। उनकी कविता में शासक कृत् अव्यवस्था प्राचीन संस्कृति के आधार पर आधुनिक संस्कृति की विवेचना करते हुए समष्टिगत परिवर्तन की आकांक्षा व समाज की दुर्दशा का चित्रण आदि मिलता है। वे समाज में व्याप्त अनेक विकृतियाँ दूर कर देना चाहते थे। यही वास्तवितक राष्ट्रीय चेतना है।