Document Abstract
हजारों वर्षों से अनवरत प्रवाहमान सभ्यता अपने कुछ विशिष्ट लक्षणों व विशेषताओं के कारण ही अपना अस्तित्व बना पाती है, इन्हीं
विशिष्ट लक्षणों को सांस्कृतिक घटकों के रूप में परिभाषित किया जाता है। संस्कृतिक घटकों में मुख्यतः धर्म, आध्यात्म, खान-पान,
वस्त्रविन्यास, वैचारिक अधिष्ठानों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, यही सांस्कृतिक घटक राष्ट्र के समस्त आयामों यथा राजनीतिक,
सामाजिक, धार्मिक, वैचारिक अधिष्ठान को निर्धारित व परिभाषित करते हैं। भारतीय संस्कृति में सर्वधर्म समभाव, विविद्यता में एकता, प्रकृ
ति संरक्षण, स्वराज व स्वशासन, वसुधैव कुटुम्बकम् सहअस्तित्व आदि प्रमुख घटक हैं जो भारतीयता को वैचारिक अधिष्ठान प्रदान करते
है, राष्ट्र की प्रगति सिर्फ अवसंरचनात्मक विकास पर निर्भर नहीं करती अपितु सांस्कृतिक घटकों के सापेक्ष विकास पर निर्भर करती हैं,
जिससे अनवरत प्रवाहमान सभ्यता सतत बनी रहे, जिसके लिए संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना इसी विचार को आत्मसात करते हुए ग्रामीण जनों में अपनी संस्कृति की जानकारी के साथ गौरव का भाव
उत्पन्न करने का प्रयास किया गया, साथ ही संस्कृति के संरक्षण व संव्र्धन का प्रयास किया गया। प्रस्तुत शोध पत्र में इस बिन्दु का े
रेखांकित करने का प्रयास किया गया।